जानिए क्या है फैट वॉलेट सिंड्रोम
अक्सर पुरुष अपने वॉलेट को जीन्स के पीछे वाली जेब में रखते है. पुरुषों के वॉलेट में ज़्यादातर कार्ड्स , लाइसेंस , पैनकार्ड ,आधारकार्ड, कुछ कैश भी होता है जो वॉलेट को काफी भारी बना देता है जब हम मेट्रो , बस , या कोई भी व्हीकल चलते वक़्त बैठते है तब हममे थोडा अजीब लगता है पर फिर भी हम उस परेशानी को अनदेखा कर देते है पर यह छोटी सी गलत आदत काफी गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है जिसकी आप तुलना भी नहीं कर सकते। इससे चलना फिरना , उठना बैठना तक दुर्लभ हो जाता है
हाल ही में 30 साल के एक व्यक्ति को फैट वॉलेट सिंड्रोम हुआ था. इसकी शुरुआत हल्के पीठ के दर्द के साथ हुई फिर धीरे धीरे दर्द बढ़ने लगा उस व्यक्ति की एमआरआई समेत कई तरह की जांच की गई जिसमें उसे रीढ़ की हड्डी या पीठ के निचले हिस्से में नसों पर दबाव या संकुचन होने जैसी कोई शिकायत नहीं थी इसके बाद उस व्यक्ति ने अपने डॉक्टर को बताया कि वह हमेशा पैंट या जींस के पीछे की दाहिनी तरफ पैसों और कार्ड्स जैसी चीजों से लदा भारी पर्स रखता था फिर इसके बाद डॉक्टर को पता चला उसकी रीड की हड्डी से पैर तक जाने वाली साइटिक नर्व पर दबाव पड़ा। फैट वॉलेट सिंड्रोम होने पर कई बार सीधे साइटिका नस पर भी दबाव पड़ सकता है और मरीज को और भी तेज दर्द हो सकता है.
हम बैकपॉकेट में पर्स नहीं रख सकते
वास्तव में बैकपॉकेट में पर्स अपनी सहुलियत के लिए रखते है कई बार बॉडी का बैलेंस बिगड़ने लगता है और इससे हिप्स और कमर पर असर पड़ता है क्यूंकि कमर से कुल्हे तक साइटिका नर्व गुज़रती है इसलिए इस दबाव की वजह से आपके कुल्हे और कमर पर तेज दर्द होने लगता है
इससे कैसे बचे
पी.एन. रेनजेन ने बताया जब भी हम गाड़ी में बैठे हमें कभी भी अपने पर्स पीछे वाली जेब में नहीं रखना चाहिए हमे हमेशा पर्स आगे वाली जैकेट या फिर आगे वाली जीन्स की जेब में रखना चाहिए , इससे आपकी पीठ पर तनाव भी नहीं पड़ेगा और बैठने में कोई दिक्कत भी नहीं होगी ।