दुष्कर्म मामले में स्वामी चिन्मयानन्द को हाई कोर्ट से मिली बड़ी राहत, हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत मंजूर की…
पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानन्द को इलाहाबाद कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शाहजहांपुर में दर्ज शिष्या के बालत्कार मामले में कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत मंजूर कर ली है। मिली जानकरी के मुताबिक, यह आर्डर शिकायतकर्ता द्वारा अदालत के समक्ष एक हलफनामा प्रस्तुत करने के बाद जारी किया गया था, इसमें कहा गया था कि उसे इस आपराधिक मुकदमे को वापस लेने पर कोई परेशानी नहीं है और उपरोक्त मामले में आगे मुकदमा चलाने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
स्वामी चिन्मयानंद की एक शिष्या ने साल 2011 में इनके खिलाफ शाहजहांपुर कोतवाली में बालात्कार का केस दर्ज कराया था। इस मामले की जांच करते हुए वर्ष 2018 में युपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चिन्मयानंद के खिलाफ दर्ज केस को वापस लेने की बातें रखी थी।निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी यूपी सरकार के इस फैसले को खारिज कर दिया था। केस वापसी के आर्डर को कोर्ट ने गलत ठहराया।इसके अलावा स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी हुआ था।
कोर्ट से बचने के लिए बीमारी को बनाया जरिया…
गिरफ्तारी से बचने के लिए स्वामी चिन्मयनन्द ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अग्रिम जमानत देने की कोर्ट से मांग की थी। पूर्व मंत्री ने याचिका में गिरफ्तारी की परिस्थिति से बचने के लिए अपनी बीमारी को जरिया बनाया था। कोर्ट ने बीमारी व अन्य आधारों पर उन्हें आख़िरकार अग्रिम जमानत दे दी। अदालत ने अपने सुनाये गए फैसले में स्वामी चिन्मयानंद को विवेचना में मदद के निर्देश दिए हैं।
आवेदक ने अपने बयान में दी थी ये दलील…
अदालत ने संबंधित ट्रायल कोर्ट के आरोपी-आवेदक को किसी भी अन्य शर्तों के साथ अग्रिम जमानत पर रिहा करने का फरमान जारी किया। आवेदक ने ये दलील दी थी कि उनकी आयु 75 वर्ष की हो गई है। उनका कोई भी आपराधिक हिस्ट्री भी नहीं है। वह कई चिकित्सा और शैक्षणिक संस्थानों को भी चला रहे हैं और उच्च राजनीतिक और आध्यात्मिक मूल्य के व्यक्ति हैं। ये मुद्दा वर्ष 2011 का है। चिन्मयानंद पर एक कॉलेज छात्रा को अपने आश्रम में बंधक बनाकर दुष्कर्म करने का आरोप लगा है।