पर्यावरण का मनुष्य जीवन पर प्रभाव…
पर्यावरण का मनुष्य के जीवन में काफ़ी सर्वोपरि स्थान माना जाता है। ये दोनों एक दूसरे के पूरक है। हम अगर अपने पास के वातावरण को जितना स्वच्छ और साफ सुथरा रखेंगे उसका असर सीधा हमारे स्वास्थ्य पर पड़ेगा।
हमारा स्वास्थ्य उतना ही बेहतर होगा और हम गंदी महामारी के शिकार होने से बचे रहेंगे। वही अगर ठीक इसके विपरीत बात करें तो कही हमारा समाज जितना प्रदूषित रहेगा हम उतने ही भयावह बीमारी के चपेट में चलते चले जायेंगे । आखिर अब ये सवाल पैदा होता है की अपने समाज और देश को प्रदूषण मुक्त होने से कैसे बचाए? इसका स्पष्ट जवाब ये है की कूड़ा-करकट और बेफिजूल के चीजों को यूंही खुले जगह पर ना फेके। कूड़ेदान का सही इस्तेमाल करें। समाज और देश को साफ करने में अपना अहम योगदान दे। प्लास्टिक की चीजें को यूंही खुले जगहों में ना फेके ये भी दैनिक जीवन में काफी गहरा असर डालता है। प्लास्टिक उर्वरक जमीन को बंजर बना देती है। जिसके फलस्वरूप किसानों को खेती- बाड़ी की भी समस्या होती है ।
प्रकृति के साथ विगत कई वर्षों से की जा रही छेड़छाड़ से पर्यावरण को हो रहे भारी नुकसान को देखने को मिल रहा है। विश्व में बंजर इलाको की संख्या में बढ़ोतरी,जंगल की बढ़ती कटाई से पेड़-पौधे लुप्त होते दिख रहे है और प्रदूषणों से पानी दूषित हो रहा है, जिससे लोग महामारी और भयंकर बीमारियो के शिकार हो रहे है। इसका ये भी वजह है की कस्बों एवं शहरों पर गहराती अस्वच्छ हवाएं और और हर साल बढ़ते बाढ़ एवं सूखे के प्रकोप इस बात के प्रतिम साक्षी हैं कि हमने अपने पृथ्वी और अपने पर्यावरण की अच्छे से देखभाल नहीं की है।