बसंत पंचमी के खास मौके पर जाने वृन्दावन और प्रयागराज की धूम
आज बसंत पंचमी का त्यौहार है इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. बसंत पंचमी का आना बसंत ऋतु के आने का संदेश होता है. सर्दियों में पाला पड़ने से पदों के पत्ते मुरझा जाते है और पतझड़ में झड़ जाते है. मगर बसंत के आगमन के बाद पेड़ों पर नए पत्ते और पौधो पर कालिया आने लगती है. बसंत ऋतु के आने से प्रक्रति का कण-कण खिल उठता है. मानव और पशु पक्षी उल्लास से भर जाते है. बसंत पंचमी पर विवाह, ग्रह प्रवेश व अन्य शुभ कार्य किये जाते है. भारत में बसंत पंचमी के दिन से ही होली के त्यौहार का आगमन भी हो जाता है. कान्हा जी की नगरी मथुरा , वृन्दावन आदि जगहों पर आज से ही होली के त्यौहार की धूम शुरू हो जाती है. बसंत पंचमी के दिन यहाँ मौजूद बनके बिहारी मंदिर व अन्य मंदिरों में गुलाल और अबीर उड़ाया जाता है. इसके बाद होली आने में चालीस दिन बाकि होते है मगर यहाँ 40 दिन पहले ही होली की शुरुवात हो जाती है और 40 दिनों तक भक्तजन अबीर गुलाल उड़ा कर बांके बिहारी जी के साथ होली खेलते है. आज बांके-बिहारी मंदिर में पुजारियों ने ठाकुर जी को गुलाल लगाकर होली के पर्व की शुरुआत कर दी है. दूसरी ओर प्रयागराज में माघ मेले में आज बसंत पंचमी का नहान भी है जिसमे श्रद्धालु गंगा नदी में डूबकी लगाते है. आज लाखो श्रद्धालु प्रयागराज के संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. हालांकि इस मेले के दौरान क्षेत्र में तेज बारिश हो गयी. जिससे लोगो की मुश्किलें काफी बढ़ गयी है.