बिरसा कृषि विश्वविद्यालय का 7वां दीक्षांत समारोह, 24 छात्र-छात्राओं को मिला गोल्ड मेडल किसानों की नियमित आय के लिए समेकित कृषि को बढ़ावा दिया जाय: राज्यपाल
राज्यपाल रमेश बैस ने किसानों को नियमित और टिकाऊ आय सुनिश्चित करने के लिए राज्य में कृषि, बागवानी, पशुपालन, मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन और मत्स्यपालन से युक्त समेकित कृषि पद्धति को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया है।
बृहस्पतिवार को बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यहां के प्रत्येक स्नातक को 5 गांव में जाकर, समय देकर किसानों की परिस्थितियों, समस्याओं और प्राथमिकताओं को समझना चाहिए तथा समाधान के रास्ते प्रस्तुत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों में पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाना बड़ी चुनौती है जिसका मुकाबला प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देकर ही किया जा सकता है।
उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि सीखने की कोई उम्र सीमा नहीं होती, इसलिए नया ज्ञान प्राप्त करने की भूख आजीवन बनी रहनी चाहिए। नई पीढ़ी अच्छे मार्ग पर चले और हर दौर की चुनौतियों का सामना अपने नवीनतम ज्ञान के माध्यम से करे।
राज्यपाल ने विभिन्न बैच के टॉपर कुल 24 छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल तथा कृषि, पशु चिकित्सा एवं वानिकी विज्ञान में पीएचडी करने वाले 25 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। दीक्षांत समारोह में उपाधि प्राप्त करने के लिए विश्वविद्यालय के 11 कॉलेजों के कुल 1139 छात्र-छात्राओं को आमंत्रित किया गया था जिनमें स्नातक की डिग्री प्राप्त करने वाले 888, मास्टर डिग्री प्राप्त करने वाले 226, तथा पीएचडी करने वाले 25 विद्यार्थी शामिल थे।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ हिमांशु पाठक ने दीक्षांत भाषण देते हुए कहा कि डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को समाज के बेहतर कार्य के लिए अपने आपको समर्पित करना चाहिए। जिस संस्था में पढ़े, जिस गांव, शहर, कस्बे या प्रान्त से आए हैं, अपने अवदान से उसका नाम रोशन करें। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि जबतक आप अपनी आंतरिक मेधा से बाहर आकर समाज की सेवा नहीं करते तबतक आपकी शिक्षा परिपूर्ण नहीं है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1970 तक अपनी खाद्य आवश्यकताओं के लिए दूसरे देशों से खाद्यान्न आयात पर निर्भर रहने वाला भारत आज इस मोर्चे पर आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ 15-20 मिलियन टन अनाज निर्यात कर रहा है और 15-20 देशों को मुफ्त में भी अनाज दे रहा है। पूरे विश्व में भारतीय कृषि आदर्श है और यदि हमारी कृषि किसी कारण पिछड़ जाए तो पूरे विश्व की खाद्य और पोषण सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2027 तक भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में लाने का लक्ष्य रखा है जिसमें कृषि, किसानों और कृषि वैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण योगदान होगा। मौसम परिवर्तन, आपसी संघर्ष और पर्यावरण प्रदूषण की तीन प्रमुख चुनौतियों से निबटने के लिए छात्र शक्ति को तैयार रहना होगा, तभी विकसित देश की श्रेणी में आने का सपना साकार हो पाएगा।
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने स्वागत भाषण करते हुए कहा कि किसानों के जीवन में खुशहाली ही डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के कार्यों का मापदंड होगी। छात्र नौकरी के पीछे भागने के बजाय स्वरोजगार शुरू करने की दिशा में सोचें और नौकरी प्रदाता भी बनें। कुलपति ने कहा कि रवीन्द्र नाथ टैगोर कृषि महाविद्यालय, देवघर, तिलकामांझी कृषि महाविद्यालय, गोड्डा, फूलो झानो मुर्मू डेयरी प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, हंसडीहा, दुमका, बागवानी महाविद्यालय, खूंटपानी, चाईबासा, मात्स्यिकी विज्ञान महाविद्यालय, गुमला कृषि महाविद्यालय, गढ़वा और कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय, कांके, रांची से डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थी पहली बार दीक्षांत समारोह में भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए आईसीआर संस्थानों, देश के अग्रणी कृषि विश्वविद्यालयों और आईआईटी, आईआईएम सहित प्रमुख तकनीकी एवं प्रबंधन संस्थानों में यहां के विद्यार्थियों का बड़ी संख्या में चयन हो रहा है। उन्हें इस विश्वविद्यालय और राज्य के एंबेसडर के रूप में काम करना है।