महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर जाने उनसे जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें
महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के जरिए भारत को आजादी दिलाई। कोई मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा कहता है तो कोई उन्हें बापू। महात्मा गांधी ने अहिंसा के महत्व के बारे में दुनिया को आश्वस्त किया। उन्होंने जीवन भर अहिंसा के मार्ग को अपनाया। उनके विचार आज भी बहुतों के लिए प्रेरणा हैं। आजादी के कुछ महीने बाद 30 जनवरी, उनीस सो अड़तालीस, को महात्मा गांधी का निधन हो गया। यह दिन गांधी जी की पुण्यतिथि के रूप में इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया। भले ही महात्मा गांधी आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार आज भी कई लोगों को प्रेरित करते हैं। देश के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायक मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म, 2 अक्टूबर अठारा सो उन्हतर, को हुआ था। आजादी के कुछ ही महीनों बाद, नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी को बिरला हाउस में प्रार्थना के दौरान बापू को गोली मार दी। यह दिन आज भी लोगों द्वारा याद किया जाता है। इस दिन को हर साल शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। यही वह दिन है जब साबरमती के संत ‘हे राम’ कहते हुए दुनिया को अलविदा कहते हैं। इस अवसर पर भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री, बापू को याद करते हुए दिल्ली के राजघाट स्थित गांधी जी की समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराया। बापू ने देश के प्रत्येक नागरिक को हिंसा और रक्तपात से दूर रहने और अहिंसा का मार्ग अपनाने की प्रेरणा दी। सूट बूट पहने अंग्रेज, कभी बापू की धोती और लंगोटी का चरित्र नहीं समझ सके। एक बार ब्रिटिश प्रधानमंत्री Winston Churchill ने बापू का मजाक उड़ाया था। उन्होंने बापू को नंगा फकीर कहा। लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह फकीर एक दिन इतना महान बनेगा कि पूरी दुनिया, उसके सामने झुक जाएगी। बापू के सत्य और अहिंसा के विचार न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व का मार्गदर्शन करते हैं। गांधीजी ने अपना जीवन सत्य की खोज के लिए समर्पित कर दिया। महात्मा गांधी ने देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। जिसमे भारत छोड़ो आंदोलन, सत्याग्रह, दांडी मार्च, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन शामिल हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सबसे पहले उन्हें राष्ट्रपिता कहा था। उसके बाद उन्हें महात्मा बापू भी कहा जाने लगा। हम सभी को गर्व होना चाहिए कि हमारे देश में महात्मा गांधी जैसे महान व्यक्ति का जन्म हुआ।