Baisakhi 2021: आज बैसाखी का पर्व, जानिए इसका महत्व और इतिहास?
देशभर में आज बैसाखी का पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस दिन को नव वर्ष की शुरुआत के रूप में भी जाना जाता है. इसे कृषि पर्व भी कहते हैं. क्योंकि इस त्योहार को फसलों के मौसम की शुरुआत मानी जाती है. इस दिन लोग अनाज की पूजा करते हैं और फसल के कटकर घर आ जाने की खुशी में भगवान और प्रकृति को धन्यवाद करते हैं. दरअसल इस महीने रबी फसल पूरी तरह से पक कर तैयार हो जाती है और पकी हुई फसल को काटने की शुरुआत भी हो जाती है. ऐसे में किसान खरीफ की फसल पकने की खुशी में ये त्योहार मनाते हैं. इस पर्व को पंजाब में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन किसान अपने फसलों की कटाई कर लेते हैं और शाम के समय में आग जलाकर उसके चारो ओर इक्ठा होते हैं और उस आग में नए अन्न डालते हैं.
ये त्योहार खासकर से सिखों का प्रमुख त्योहार है. सिखों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह जी ने 13 अप्रैल 1699 को बैसाखी के दिन ही खालसा पंथ की स्थापना की थी. इसके साथ ही इस दिन को मनाना शुरू किया गया था. बैसाखी के दिन ही सिख लोगों ने अपना सरनेम सिंह (शेर) को भी स्वीकार किया था.
हालांकि ये त्योहार सिर्फ पंजाब में ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. बैसाखी को असम में बिहू, बंगाल में नबा वर्षा, केरल में पूरम विशु के नाम से इस त्योहार को मनाया जाता है. इस बार कोरोना के कारण लोग सावधानी पूर्वक सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए इस पर्व को मना रहे है.
वैसे जो लोग इस वीडियो को देख रहे होंगे उनके मन में ये भी सवाल उठ रहा होगा कि इस त्योहार को बैसाखी नाम क्यों दिया गया..तो बता दें कि बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है. यही कारण है कि इस त्योहार को बैसाखी नाम दिया गया.बैसाखी त्यौहार अप्रैल महिने में तब मनाया जाता है, जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है. सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने की वजह से ही इसे मेष संक्रांति भी कहते है.ऐसा हर साल 13 या 14 अप्रैल को ही होता है.
इसके साथ ही ये दिन मौसम में बदलाव का प्रतीक भी माना जाता है. अप्रैल के महीने में सर्दी का मौसम पूरी तरह से खत्म हो जाता है और गर्मी का मौसम शुरू हो जाता है. मौसम के प्रकृतिक बदलाव की वजह से इस त्योहार को मनाया जाता है. सूर्य की स्थिति परिवर्तन की वजह से इस दिन के बाद धूप तेज होने लगती है और गर्मी भी तेज हो जाती है.