चेन्नई की स्पेस कंपनी ने फिर किया कमाल, प्रदुषण की जाँच करने के लिए बनाया जटायु

हाल ही में एक खबर सामने आ रही हैं जिसमे बताया जा रहा हैं की एक ऐसा यंत्र हैं जो की प्रदुषण के स्तर को मापेगा. जी हां दोस्तों आज हम आपको बताएँगे एक ऐसे यंत्र के बारें में जिसे चेन्नई की स्पेस कंपनी ने प्रदूषण का स्तर मापने के लिए बनाया हैं.

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आपको बता दें की कुछ दिन पहले ही चेन्नई की स्पेसकिड्ज इंडिया कंपनी ने प्रदूषण के स्तर की जाँच के लिए गुब्बारे में एक यंत्र को बांधकर ऊपरी वायुमंडल भेजा. दोस्तों इस यंत्र का नाम जटायु हैं. कुछ दिन पहले जटायु को हाई-एल्टीट्यूड बैलून में बांधकर स्पेस की तरफ भेजा गया था. जानकारी के मुताबिक जटायु यंत्र को दिवाली की रात और उसके अगले दिन यानी 4 नवंबर और 5 नवंबर दो बार ऊपरी वायुमंडल में भेजा गया.

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आपको जानकारी के लिए बता दें की ये वहीं कंपनी है जिसने फरवरी 2021 को सतीश धवन नैनो सैटेलाइट को भेजा था. जिसपर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की तस्वीर लगाई गयी थी. जबकि इस कंपनी ने अभी तक इसरो की मदद से दो सैटेलाइट को धरती की कक्षा में पहुंचाया है. लेकिन आपका जानकर आश्चर्य होगा की जटायु को धरती की कक्षा में नहीं भेजा. उसे सिर्फ ऊपरी वायुमंडल तक जाकर वायु प्रदूषण की जाँच करने के लिए भेजा गया था.

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दोस्तों अब आपको बताते हैं की इसको लेकर कम्पनी की सिईओ श्रीमती डॉ. केसन क्या कहना हैं. उनका कहना हैं कि जटायु को 1 दिसंबर और 31 दिसंबर को एक फिर से लॉन्च किया जाएगा और फिर 1 दिसंबर और 31 दिसंबर की रात के डेटा का विश्लेषण करके वायु गुणवत्ता की जांच की जाएगी. इसके आलावा उन्होंने यह भी कहा कि हम अभी यह प्रयोग सिर्फ चेन्नई में कर रहे हैं. अगर हमें सरकार की अनुमति मिल जाती हैं तो हम प्रदूषण के स्तरों की जांच के लिए यह प्रयोग दिल्ली-NCR, पंजाब, हरियाणा समेत उत्तर प्रदेश में भी कर सकते हैं.

जटायु के साथ डॉ. श्रीमती केसन और स्पेसकिड्ज इंडिया की टीम. (फोटोः स्पेसकिड्ज इंडिया)

डॉ.केसन बताती हैं कि हम जल्द ही दो और लॉन्च करने वाले थे. लेकिन इसके बीच में दक्षिण भारत में होने वाली बारिश आ गयी. जिसके कारण हमे इस प्लान को आगे बढ़ाना पड़ा. इसी के साथ नवंबर के शुरुआत की तुलना में अब वायुमंडल साफ हो चूका हैं और हवा भी साफ लग रही हैं. इसलिए अब बाकी के दो लॉन्च की तारीख 1 और 31 दिसंबर तय की गई है.

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दोस्तों आपको बता दें कि जटायु को स्पेस में ले जाने वाले गुब्बारे का वजन कुल 1200 ग्राम है. इसका रंग सफेद या क्रीम रखा गया वो इसीलिए हैं ताकि ये दूर तक दिखाई दे सके. आपको लगता होगा की जटायु का काम बहूत आसान हैं लेकिन आपको बता दें कि जटायु का वजन मात्र 2 किलोग्राम है. इसमें तापमान नापने के लिए सेंसर्स, ह्यूमेडिटी सेंसर, एयर क्वालिट सेंसर, जीपीएस रेडियो सोंडे और एक ट्रैकिंग डिवाइस लगाया गया है. जीपीएस रेडियो सोंडे ऊपरी वायुमंडल में जाकर सक्रिय होता है और वह वहां पर वायुमंडली हवा की गति और दिशा का पता लगाता है. ट्रैकिंग डिवाइस जटायु की लैंडिंग के बाद उसे खोजने में मदद करता है.

STORY BY – UPASANA SINGH