प्रकृति की अद्भुत संरचना है तोरपा का डुंगी दा झरना

खूंटी: वैसे तो पूरा झारखंड ही प्राकृतिक सौंदर्य से भरा-पूरा है लेकिन वीरों और खिलाड़ियों की धरती खूंटी की बात कुछ निराली ही है।प्रकृति की इन्हीं अनमोल भेंट में से एक है तोरपा प्रखंड का अद्भुत झरना डुंगी दा। डुंगी दा मुंडारी शब्द है। डुंगी का अर्थ होता है नाली और दा का अर्थ है पानी यानी नाली से निकलने वाला पानी। तोरपा प्रखंड की फटका, हुसीर और कमड़ा पंचायत की सीमा पर रोन्हे गांव के पास बासा बुरू नामक विशाल पहाड़ से ठंडा और मीठा पानी एक नाली के रूप में हजारों वर्षों से अनवरत बहता रहता है। जाड़ा हो या भीषण गर्मी, हर मौसम में पानी का बहना जारी रहता है। अभी भी लोग वहां के पानी का उपयोग करते हैं।

पानी के अनवरत बहाव के कारण आसपास हमेशा पानी भरा रहता है। पानी की अधिकता के कारण जंगली हाथी भी वहां हमेशा डेरा डाले रहते हैं। गजराजों के भय से कम लोग ही डुंगी दा का आनंद लेने पहुंचते हैं। वैसे दिसंबर और जनवरी महीने में स्थानीय लोग भारी संख्या में वहां पिकनिक का आनंद उठाने जाते हैं।

तोरपा पश्चिमी के जिला परिषद सदस्य और समाजसेवी जयमंगल गुड़िया बताते हैं कि कितने दिनों से पहाड़ का पानी धरती पर गिर रहा है, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। पहाड़ से गिरने के कारण पानी इतना ठंडा रहता है, मानो फ्रीज का पानी हो। कमड़ा गांव के लालू सूरीन बताते हैं कि प्रसिद्ध जलप्रपात पेरवाघाघ का पानी ही बासा बुरू नामक पहाड़ के अंदर ही अंदर यहां पहुंचता है। उन्होंने बताया कि पहाड़ की वनस्पतियों के संपर्क में आने के कारण डुंगी दा का पानी भी औषधीय हो जाता है।

लोगों का मानना है कि यहां के पानी से स्नान करने पर चर्म रोग ठीक हो जाता है। जिला परिषद सदस्य जयमंगल गड़िया बताते हैं कि सड़क नहीं रहने के कारण बहुत कम लोग ही डुंगी दा झरना तक पहुंच नहीं पाते। साथ ही जंगली हाथी भी वहां पानी के लिए आते-जाते रहते हैं। डुंगी दा तक जाने के लिए लोगों को नदी और जंगल को पार करना पड़ता है।

खूंटी जिला मुख्यालय से डुंगी दा की दूरी लगभग सात किलामीटर और तोरपा प्रखंड मुख्यालय से सात किलोमीटर है, जबकि तपकारा के कमड़ा मोड़ से महज तीन किलोमीटर। जिला परिषद सदस्य गुड़िया कहते हैं कि यदि डुंगी दा तक सड़क बन जाए तो यह जिले का एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन सकता है।