कैसे आग बुझाते हैं हेलिकॉप्टर? उत्तराखंड में लगी भयंकर आग बुझाने का प्रयास अब तक जारी

उतराखंड के जंगल इस वक्त आग की चपेट में हैं. उत्तराखंड के जंगलों में करीब 4० से अधिक जगहों पर इस वक्त आग लगी हुई हैं. आग पर काबू पाने के लिए  उत्तराखंड सरकार ने 12000 वनकर्मियों (Forest Department) को तैनात कर दिया है. 1300 फायर स्टेशन इस काम जुटे हैं. वन विभाग के अफसरों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं. इतना ही नही आग बुझाने के लिए भारतीय वायु सेना को भी लगाया गया है. भारतीय वायुसेना ने दो Mi-17 हेलीकॉप्टर भेजे हैं जो आग बुझाने में लगे हुए हैं…
आइये इस वीडियो में जानते हैं कि आखिर वायुसेना के हेलीकाप्टर आग कैसे बुझाते हैं?

Uttarkashi: A wild fire in the Tankore forest area of Uttarkashi district, Monday, April 5, 2021. (PTI Photo) 

देश के अलग अलग राज्यों के जल्गों में आग लगी हुई है लेकिन उत्तराखंड की आग सबसे भयावह मानी जा रही है. कुमाऊं और गढ़वाल के नैनीताल, अल्मोड़ा, टिहरी और पौड़ी ज़िले इस आग सबसे ज़्यादा हैं इस आग को बुझाने के लिए वायुसेना के हेलीकाप्टर को लगाया गया है. वायु सेना का एक हेलिकॉटर गढ़वाल में और दूसरा कुमाऊं क्षेत्र के जंगलों में आग बुझाने का काम कर रहा है. इन हेलिकॉप्टरों की क्षमता 5000 लीटर टैंक की बताई गई है.
हेलीकाप्टर से आग बुझाने के कई तरीके अपनाए जाते हैं कई तरह के उपकरण लगाये जाते हैं लेकिन जो सबसे ज्यादा उपयोग में होता है वो बम्बी बकेट या फिर फास्ट बकेट का !
इस तकनीक में बाल्टीनुमा उपकरणों के ज़रिये हेलिकॉप्टर आग के पास से गुज़रते हुए  सैकड़ों या हज़ार लीटर पानी तक फेंक सकता है. साथ ही, पायलट इन बकेट्स को पास के ही किसी तालाब, झील या नदी से भर भी सकता है और फिर उसे लाकर आग पर फेंका जाता है उस जगह पर जहाँ से आग आगे बढ़ रही होती है.
इस बाल्टी का डिज़ाइन इस तरह का होता है कि इसमें पानी किसी नदी, तालाब, झरना और केवल 1 फीट गहरी जगह पर इकठ्ठा पानी भी इसमें भरा जा सकता है. इसमें बाल्टी में एक बार में 300 लीटर से 10 हजार लीटर पानी तक भरा जा सकता है. इस बाल्टी में पानी भरने के बाद हैलीकॉप्टर उन जगहों (जैसे बड़े बड़े जंगल, संकरी गलियों और बहुमंजिला इमारतों इत्यादि) में भी आग बुझा सकता है जहाँ पर दमकल की गाड़ियाँ नहीं पहुँच पाती हैं.ख़ास बात ये कि हेलीकाप्टर के बाल्टी को हेलीकाप्टर का चालक दल हेलीकाप्टर से कंट्रोल करता है.
खास तौर से जंगल की आग बुझाने के लिए कई तरह के हेलिकॉप्टर इस्तेमाल ​किए जाते हैं. जैसे Astar 350, B2, B3, B3E, B4 और EC120 इस आग बुझाने के काम अधिक उपयोग में लाये जाते हैं. भारत में Mi सीरीज़ के हेलीकाप्टर का उपयोग आग बुझाने में किया जाता है.हेलीकाप्टर से आग बुझाना मुश्किल और जोखिम भरा काम होता है इसलिए इस काम ट्रेंड पायलट ही करते हैं.पिछले कुछ दशकों में जंगलों की या भारी आग बुझाने के लिए हेलिकॉप्टर काफी मददगार साबित होते रहे हैं. आग का फैलाव रोकने में भी इनकी भूमिका रही है.


पानी के अलावा आग बुझाने वाला मंदक फोम (Fire Retardant Foam) भी भरा जा सकता है जो कि आग के ऊपर एक परत बनाता है, इस कारण आग को ऑक्सीजन गैस नहीं मिल पाती है जिसके कारण आग जल्दी बुझ जाती है.
दरअसल कई बार ग्रामीण जंगल में जमीन पर गिरी पत्तियों या सूखी घास में आग लगा देते हैं, जिससे उसकी जगह नई घास उग सके। लेकिन आग इस कदर फैल जाती है कि वन संपदा को खासा नुकसान होता है। वहीं, दूसरा कारण चीड़ की पत्तियों में आग का भड़कना भी है। चीड़ की पत्तियां (पिरुल) और छाल से निकलने वाला रसायन, रेजिन, बेहद ज्वलनशील होता है। जरा सी चिंगारी लगते ही आग भड़क जाती है और विकराल रूप ले लेती है.. उत्तराखंड में करीब 16 से 17 फीसदी जंगल चीड़ के हैं। इन्हें जंगलों की आग के लिए मुख्यतः जिम्मेदार माना जाता है.. दूसरी तरफ कम बारिश भी आग में घी का काम कर गयी.

उत्तराखंड  के जंगलों में इस बार सर्दियों में ही आग लगनी शुरू हो गई थी। एक अक्टूबर से लेकर पांच अप्रैल तक करीब 1400 हेक्टेयर जंगल आग के हवाले हो चुका है। जंगल की आग के मामले भी 1100 से अधिक हो चुके हैं।