साल 2020 में सिर्फ कोरोना ने ही नहीं बल्कि इन प्राकृतिक आपदाओं ने भी मचाई भारी तबाही
साल 2020 अब खत्म होने वाला है लेकिन ये साल ऐसा रहा जिसने दुनिया को एक ऐसी महामारी से रुबरु कराई जिसे दुनिया कभी नहीं भुलने वाली है. इतना ही नहीं साल 2020 सिर्फ दुनिया के लिए कोरोना महामारी ही लेकर नहीं आया. बल्कि इस साल धरती पर कुछ ऐसे प्राकृतिक कहर भी बरपाया, जिसे लोगों के जेहन से मिटाना मुमकिन नही हैं. ये साल सिर्फ कोरोना वायरस के लिए ही नहीं जाना जाएगा, बल्कि कई प्राक्रतिक आपदाओं के लिए भी याद किया जाएगा. तो चलिए इस वीडियो में आपको इस साल के उन आपदाओं के बारे में बताते है जिनमें से कुछ हादसे तो प्रकृति ने खुद बरपाए तो कुछ हादसे मानवजनित क्लाइमेट चेंज के कारण से हुए….
-12 जनवरी 2020: इस साल के 12 जनवरी को फिलिपींस का ताल ज्वालामुखी फटा. ये इतना तेज था कि इसके धुएं और राख के गुबार 100 किलोमीटर दूर तक फैला. इसका असर ये हुआ कि फिलिपींस की राजधानी मनीला में भी पूरी तरीके से अंधेरा हो गया था. यही नहीं इस ज्वालामुखी के फटने के कारण 39 लोगों की मौत हो गई थी. बता दें कि ये ज्वालामुखी लगभग 40 साल बाद फटा था.
-28 जनवरी 2020: 28 जनवरी को कैरीबियन में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था.इसकी ताकत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते है कि इसका असर जमैका और क्यूबा में भी महसूस किया गया. हालांकि राहत की बात ये रही की इस से किसी की मौत नहीं हुई. लेकिन इसने धरती के एक बड़े हिस्से को हिलाकर रख दिया था. इस भूकंप के आने के कारण नॉर्थ अमेरिकन टेक्टोनिक प्लेट और कैरीबियन प्लेट के आपस में खिसकना था.
-24 जनवरी 2020: 24 जनवरी को देश तुर्की में जानलेवा 6.7 तीव्रता का भूकंप आया था. इस हादसे के कारण 41 लोगों की मौत हो गई थी और हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. दर्जनों घरों को नुकसान पहुंचा. कई इमारतें गिर गईं.
-23 जून 2020: मेक्सिको के ओक्साका में 23 जून को 7.4 तीव्रता का भूंकप आया था. इस भूकंप के कारण 10 लोगों की मौत हो गई थी. ये भूकंप नॉर्थ अमेरिकी प्लेट और कोकोस प्लेट के आपसी खींचतान के कारण से आया था.
-22 जुलाई 2020: इस साल का सबसे ज्यादा तेज भूकंप अलास्का में 22 जुलाई को आया था. इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.8 थी. हालांकि इस भूंकप से कोई मरा नहीं लेकिन इसे एक बड़ी प्राकृतिक घटना दर्ज की गई.
-ऑस्ट्रेलिया की आग: ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग को भला कौन भूल सकता है. इस आग में जलकर करीब 100 करोड़ जीव-जंतु मर गए थे. लगभग 1.20 करोड़ हेक्टेयर जमीन को इस आग ने अपनी चपेट में ले लिया था. 30 से अधिक लोगों की जान चली गई थी.वही वैज्ञानिकों का कहना है कि इस हादसे के जिम्मेदार इंसान ही हैं. क्योंकि क्लाइमेट चेंज के कारण ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में नमी कम होती जा रही है, इसलिए वहां लगने वाली आग जल्दी खत्म नहीं होती और जल्दी दुर तक फैल जाती है.
-16-17 अगस्त 2020: ऑस्ट्रेलिया के बाद एक और जंगल की आग ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा. कैलिफोर्निया के जंगलों में 16 से 17 अगस्त के बीच बिजली गिरने के कारण आग लग गई. आग ऐसा लगा की इस आग को बुझाने में तीन महीने लग गए. इस आग को नाम दिया गया अगस्त कॉम्प्लेक्स फायर. इस आग से 16.5 लाख हेक्टेयर जमीन जलकर राख हो गई. इतना ही नहीं 10,448 इमारतें आग में जलकर बर्बाद हो गई. इस आग की चपेट में आकर 33 लोगों की मृत्यु हो गई. इतना ही नहीं इस आग ने कैलिफोर्निया के सात काउंटी को जला दिया था.
-31 अक्टूबर 2020: 31 अक्टूबर को कैरीबियन और मध्य अमेरिका में तूफान हरिकेन एटा आया था. इस तुफान के कारण 150 लोगों की मौत हो गई थी. वही इससे 7.2 बिलियन डॉलर्स का नुकसान हुआ था.
-13 नवंबर 2020: चक्रवाती तूफान आइओटा ने 13 नवंबर को कैरीबियन और मध्य अमेरिका में भारी तबाही मचाई. इस तूफान से 45 लोगों की मौत हो गई थी. इस तूफान के कारण 260 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से हवाएं चलीं.