बढ़ता प्रदुषण करेगा बच्चों को बीमार, होगी खांसी और सांस संबंधी बीमारियां
कुछ समय पहले एक सर्वे किया गया था जिसमे देखा गया कि शहरों में बढ़ते प्रदूषण के कारण से बच्चों को सांस संबंधी दिक्कतें आ रही हैं. आमतौर पर बच्चों का शरीर काफी कमज़ोर होता है इसलिए उनकी खास देखबाल करनी पड़ती है.
दिल्ली और आसपास के इलाकों में बढ़ता वायु प्रदूषण धीरे-धीरे लोगों को बीमार कर रहा है. जैसे जैसे प्रदूषण बढ़ रहा हैं उसका साफ असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है. खासतौर से ये बच्चों की सेहत पर ज्यादा असर कर रहा हैं. कुछ समय पहले किये एक सर्वे से पता चला कि शहरों में बढ़ते प्रदूषण के कारण से बच्चों को सांस संबंधी दिक्कतें आ रही हैं. बच्चों का शरीर काफी कमज़ोर होता है जिस कारण उनकी खास देखबाल करनी पड़ती है.
आइये अब आपको बताते हैं की इस तरह से बढ़ते प्रदुषण के कारण आपके बच्चो को किस किस तरह की बीमारियाँ हो सकती हैं. खांसी और सांस संबंधी बीमारियों का शिकार होंगे बच्चे.
गुरुग्राम के पारस चेस्ट इंस्टीट्यूट के एचओडी डॉ. अरुणेश कुमार का कहना है, “सर्दियां शुरू होने के साथ ही दिल्ली की हवा की क्वॉलिटी हर साल की तरह एक बार फिर बिगड़ना शुरू हो गई है. हाल ही में हुए एक सर्वे में जान गया कि 75% बच्चे सांस फूलने से पीड़ित हैं. इसे लेकर पहले भी हमने शिशुओं और बच्चों को वयस्कों की तुलना में बुरी हवा की क्वॉलिटी से पीड़ित पाया था. पिछले पांच सालों में नेबुलाइज़र, मीटर्ड डोज़ इनहेलेशन और ड्राई पाउडर इनहेलेशन जैसे इनहेलेशन थेरेपी के उपयोग में लगातार वृद्धि हुई है. जब बच्चो में बार-बार खांसी और सांस संबंधी लक्षण देखने को मिलते हैं. तभी बच्चों को इनहेलेशन थेरेपी जाती हैं. इसके आलावा कैंसर और हार्ट संबंधी समस्याओं सहित युवाओं पर भी प्रदूषण का बहुत ज्यादा और कभी-कभी लॉन्ग टर्म प्रभाव होता हैं. अगर कोई भी व्यक्ति गंभीर अस्थमा से पीड़ित तो वह तीन-स्तरीय सर्जिकल या एन-95 मास्क का चुनाव कर सकते हैं. लेकिन इसे आपको नाक और मुंह के चारों ओर कसकर पहनना होगा. अगर इसे ढीला पहना जाए तो इसका कोई फायदा नहीं होगा.
बढ़ता प्रदूषण और उससे बच्चों का बचाओ
पहला – घर के दरवाज़े और खिड़कियां रखें बंद
खिड़कियों और दरवाज़ों से ज़हरीले प्रदूषक घर में प्रवेश कर जाते हैं. इसलिए इन्हें बंद रखने की ज्यादा से ज्यादा कोशिश करनी चाहिए.
दूसरा – ह्यूमिडिफायर लगाएं
सांस से जुड़ी बीमारियों से परेशान लोगों को डॉक्टर, घर में एयर प्यूरीफायर लगाने की सलाह देते हैं. प्यूरीफायर में कई तरह के फ़िल्टर होते हैं, जो की अशुद्ध हवा को घर से बाहर निकालने में मदद करते हैं. इसके अलावा ये जीवाणुओं को घर से बाहर निकालकर अंदर की हवा को शुद्ध करने का भी कार्य करता हैं.
तीसरा – कम से कम निकलें बाहर
छोटे बच्चों और बुज़ुर्गों को घर से बाहर कम से कम निकलना चाहिए. क्योकि नवजात शिशु, बच्चों और बुजुर्गो का शरीर कमजोर होता हैं. बड़े बच्चों को बिना मास्क के बाहर न जाने दें.
चौथा – तेज़ सुगंध वाली चीज़ों से बच्चों को दूर रखें
परफ्यूम या पेंट जैसी चीज़ें हवा में हानिकारक कण छोड़ते हैं. जिसने नवजात बच्चों को दूर रखना चाहिए. क्योंकि ये सांस के ज़रिए फेफड़ों के लिए टॉक्सिक साबित हो सकते हैं.
STORY BY – UPASANA SINGH