भारत ने 2012 के बाद से ‘बेहद भारी’ बारिश में लगभग 85% की वृद्धि दर्ज की : पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
लगभग अब पूरे देश भर में मॉनसून की एंट्री हो चुकी है..या होने वाली है..इस बीच बहुत भारी बारिश को लेकर एक आंकड़ा सामने आया है, जो हैरान करने वाला है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि भारत में साल 2012 से ‘बहुत भारी'(very heavy) और ‘बेहद भारी'(extremely heavy) (जिसे कह सकते है कि बहुत भारी से भी भारी) बारिश की घटनाएं बढ़ी है या बढ़ रही हैं. इस आंकड़े के मुताबिक, साल 2012 में 185 स्टेशनों ने ‘बेहद भारी’ बारिश की सूचना दी थी, जबकि साल 2020 में ये बढ़कर 341 हो गई, जो साल 2012 के मुकाबले लगभग 85 फिसदी ज्यादा है.
साल 2019 के आंकड़े तो और चौंकाने वाले है. इसलिए बहुत भारी बारिश के मामले में 2019 एक असाधारण वर्ष माना जा रहा है, क्योंकि साल 2019 में 554 स्टेशनों ने ‘बेहद भारी’ बारिश की सूचना दी थी, जो साल 2012 के बाद से सबसे ज्यादा है. वही साल 2019 में 3,056 स्टेशनों ने ‘बहुत भारी’ बारिश की जानकारी दी थी, ये भी साल 2021 के बाद से सबसे ज्यादा है. यानी साल 2012 के बाद से बहुत भारी और बेहद भारी बारिश की घंटनाएं ज्यादा देखने को मिल रही है.
भारत में जून से सितंबर तक का समय मानसून का माना जाता है. जानकारी के अनुसार,15 मिलिमीटर से नीचे दर्ज की गई बारिश ‘हल्की’ बारिश मानी जाती है, वही 15 से 64.5 मिलिमीटर के बीच के बारिश को ‘मध्यम’ बारिश कहा जाता है. इसके ऊपर 64.5 मिमी और 115.5 मिमी के बीच ‘भारी’ बारिश मानी जाती है. जबकि 115.6 मिमी और 204.4 मिमी के बीच हुई बारिश को ‘बहुत भारी’ और 204.4 मिमी से ज्यादा बारिश को ‘बेहद भारी’ बारिश माना जाती है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2012 में 1,251 स्टेशनों ने जून से सितंबर के दौरान ‘बहुत भारी’ बारिश की जानकारी दी थी. 2020 में 1,912 स्टेशनों ने ‘बहुत भारी’ बारिश की सूचना दी थी, जो 2012 से लगभग 53 प्रतिशत ज्यादा है.
साल 2020 के मॉनसून सीजन के दौरान भारत के कई हिस्सों में भारी से ‘बहुत भारी’ बारिश की घटनाएं देखने को मिली. ऐसी घटनाओं के कारण ही हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, उत्तर प्रदेश, असम, बिहार और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में बारिश के साथ साथ भारी बाढ़ का सामना भी लोगों को करना पड़ा. इसी के मद्देनजर साल 2020 में NDRF ने 19,241 लोगों और 334 मवेशियों को बचाया और निकाला था.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, जून और सितंबर 2020 के बीच भारी बारिश और बाढ़ के कारण देश भर में कम से कम 1,503 लोगों की मौत हो गई. इसके साथ ही 7,842 मवेशी भी मारे गए और 27 लाख 5 हजार 45 घर क्षतिग्रस्त हो गए. इसके साथ ही मानसून और बाढ़ ने देश भर में 20.75 लाख हेक्टेयर में फसलों को प्रभावित किया.
लगातार बदलते जलवायु परिवर्तन के कारण ही ऐसी घटनाएं देखने को मिल रही है..कभी ज्यादा बारिश तो कभी तपती गर्मी….ऐसे में हम सब का दायित्व बनता है कि हम अपने आस-पास के वातावरण को साफ रखे और पर्यावरण को सुरक्षित करने में अपना योगदान दे.