ब्रिटेन में कोरोना के बाद अब Monkeypox वायरस का खतरा, कंफर्म केस मिला

कोरोना वायरस के बाद एक और वायरस का खतरा बढ़ गया है।  हाल में ही ब्रिटेन में Monkeypox का पहला मामला सामने आया है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंकीपॉक्स वायरस (monkeypox virus) के एक मामले की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि जिस व्यक्ति में इस वायरस की पुष्टि हुई है, उसने हाल में ही नाइजीरिया (Nigeria) की यात्रा की थी।

ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (यूकेएचएसए) ने कहा कि मंकीपाक्स एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है, जो लोगों के बीच आसानी से नहीं फैलता है।

इस वायरस के शिकार अधिकांश लोग कुछ हफ्तों में ठीक हो जाते हैं, हालांकि एजेंसी की ओर से ये भी कहा गया है कि कुछ मामलों में ये गंभीर रूप भी दिखा सकता है।

मंकीपॉक्स लोगों के बीच आसानी से नहीं फैलता

UKHSA में Clinical and Emerging Infections के डायरेक्टर डॉक्टर कॉलिन ब्राउन ने शनिवार को कहा कि इस बात पर जोर देना महत्वपूर्ण है कि मंकीपॉक्स लोगों के च आसानी से नहीं फैलता है और जोखिम बहुत कम है। उन्होंने कहा है की हम एनएचएस इंग्लैंड और एनएचएस इंप्रूवमेंट (एनएचएसईआई) के साथ काम कर रहे हैं, ताकि उन व्यक्तियों से संपर्क किया जा सके, जिनके संक्रमण की पुष्टि से पहले मामले के साथ निकट संपर्क था, ताकि उनका आकलन किया जा सके और सलाह दी जा सके। सेंट थॉमस अस्पताल में संक्रामक रोगों के सलाहकार डॉक्टर निकोलस प्राइस ने कहा कि मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित मरीज का इलाज सेंट थॉमस अस्पताल के स्पेशल आइसोलेशन यूनिट में एक्सपर्ट क्लिनिकल स्टाफ कर रहे हैं।

वायरस के क्‍या हैं लक्षण

मंकीपॉक्स जानवरों से इंसानों में फैलने वाली एक संक्रामक बीमारी है. ये बीमारी अक्सर मध्य और पश्चिमी अफ्रीकी देशों में फैलती है और यहीं से दूसरे हिस्सों में फ़ैल जाती है। ये बीमारी संक्रमित जानवर से सीधे संपर्क में आने से फैल सकती है। प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठदर्द, सूजी हुई लिम्फ नोड्स, ठंड लगना और थकावट शामिल हैं। अक्सर चेहरे पर शुरू होता है।  चेहरे पर दाने हो सकते हैं जो शरीर के अन्य भागों में फैल जाते हैं. ये दाने बाद में पपड़ी में बदल जाते हैं जो बाद में खुद गिर जाते हैं।

कैसे फैलता है संक्रमण

यह वायरस तब फैल सकता है, जब कोई संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में हो। यह वायरस टूटी हुई त्वचा, श्वसन पथ या आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है।

2018 में मिला था पहला मामला

बता दें कि यूके में मंकीपॉक्स वायरस का पहला मामला 2018 में सामने आया था. तब से लेकर आज तक ऐसे कुछ ही मामलों की पुष्टि हुई है. मंकीपॉक्स वायरस की पहचान सबसे पहले 1970 में अफ्रीकी देश कॉन्गो में हुई थी. उसके बाद 2003 में ये बीमारी अमेरिका समेत दुनियाभर के कई देशों में फैला था।

यूकेएचएसए ने कहा कि बिना लक्षणों वाले लोगों को संक्रामक नहीं माना जाता है, लेकिन एहतियात के तौर पर जो संक्रमित यात्री के करीब रहे हैं, उनसे संपर्क किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अगर वे अस्वस्थ हो जाते हैं तो उनका जल्दी से इलाज किया जा सकता है।