

पर्यावरण संरक्षण को लेकर सरकारी और निजी दोनों स्तर पर काम किये जा रहे हैं। योजनाओं को अमल में लाना हर व्यक्ति का कर्त्तव्य होता है। इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण के लिए बच्चों को पर्यावरण का मूल्य, बताएं कचरा प्रबंधन का भी जानकरी देनी चाहिए। अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन को चाहिए कि वह बच्चों को पर्यावरण का मूल्य समझाएं। इसके अलावा बच्चों को प्रायोगिक तौर पर पर्यटन क्षेत्रों व वाइल्ड लाइफ से जुड़ी जानकारी देनी चाहिए और प्रकृति एवं वन्य प्राणियों से परिचय कराया जाना चाहिए।
बता दें कि आज प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है। पर्यावरण संरक्षण से ही हम प्रकृति को सुरक्षित रख सकते हैं। बच्चे इसमें बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं, क्योंकि वही हमारी आने वाली नई पीढ़ी है। बच्चों को प्रायोगिक तौर पर पर्यटन क्षेत्रों व वाइल्ड लाइफ से जुड़ी जानकारी स्कूलों और अभिभावकों द्वारा दी जानी चाहिए। पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले बहुत सारे कचरों में डंप की गई बहुत सी घरेलू सामग्रियां होती है जो कि घरेलू उपयोग में नहीं होती है, जैसे कि – प्लास्टिक और कांच की बोतेलें, टिन के डिब्बे, टूटे हुए कम्प्यूटर, या अन्य प्लास्टिक की चीजें, कपड़े, इसकी भी जानकारी देनी चाहिए।
बता दें कि ये सारे अपशिष्ट पदार्थ मिट्टी और पानी में पहुच जाते है। वे वहां वर्षों तक रहते है, और उन्हें प्रदूषित करते है और उनकी गुणवत्ता को हानि पहुंचाते है। यदि हम इन्हें पर्यावरण में फेकने के बजाय इन्हें फिर से रीसायकल करने के आसान से तरीके को अपनाते हैं तो हम पर्यावरण को बचाने की दिशा में एक बड़ा काम कर सकते हैं।
इसके लिए कुछ उपायों को प्रयोग में लाया जाना चाहिए, जैसे बैग और उसके उत्पादों के उपयोग पर प्रतिबंध लगे, घर के कचरे को सही चैनल के साथ अलग-अलग जाए, कचरे को फैलने से रोका जाए, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से बचें और जैविक पदार्थों का उपयोग करें, वाहनों से निकलने वाले घुएं को कम करें, जंगलों को बचाएं और पेड़ लगाएं, भूतल या सतह जल का उपयोग कम से कम करने का प्रयास करे, आदि।