पिघल रहे हैं हिमाचल के बर्फीले पहाड़! आ सकती है भारी मुसीबत!
हिमाचल प्रदेश से निकलने वालीं नदियों पर कई राज्य निर्भर हैं. दिल्ली जैसे शहरों में पीने का पानी हिमाचल से निकलने वाली नदियों से मिलता है और इन नदियों में पानी आता है हिमाचल प्रदेश के बर्फीले पहाड़ों से. लेकिन एक रिपोर्ट सामने आई है जो हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ कई राज्यों के लिए खतरे की घंटी हो सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले एक साल में ही हिमाचल प्रदेश में बर्फ से ढकी रहने वाली चोटियों के क्षेत्र में 9 से 23 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है. साल 2020 के अक्टूबर महिने में सबसे अधिक 51 से 77 फीसद तक की गिरावट देखने को मिली इसका मतलब ये हुआ कि बर्फीली चोटियों में कमी आ रही है. हिमाचल प्रदेश की सभी चार प्रमुख घाटियों सतलुज, चिनाब, रावी और ब्यास में भी लगातार बर्फ से ढके क्षेत्र में कमी आ रही है. ये जानकारी हिमाचल प्रदेश के पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के जलवायु परिवर्तन केंद्र की ओर से दी गई है.
हिमाचल प्रदेश में बहने वाली चिनाब, ब्यास, पार्वती, बस्पा, स्पीति, रावी व सतलुज जैसी प्रमुख नदियां और हिमालय से निकलने वाली उनकी बारहमासी सहायक नदियां हिम आवरण(snow cover) पर निर्भर करती हैं. एडवांसड वाइड फील्ड सेंसर के तहत सेटेलाइट से दो वित्तीय वर्षों 2019-20 और 2020-21 में बर्फ के अधीन क्षेत्र को लेकर विश्लेषण किया गया.
अक्टूबर से जून तक के आंकड़ों को खंगालने पर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. हिम आवरण के लगातार घटने के कारण इन नदियों में पानी के समाप्त होने की चिंता सताने लगी हैं. यह पानी पीने के साथ-साथ, विद्युत परियोजनाओं और सिंचाई के लिए हिमाचल प्रदेश के साथ साथ पंजाब, हरियाणा के काम आता है. वहीँ दिल्ली व अन्य राज्यों में पीने के लिए प्रयोग हो रहा है.
इसको लेकर जलवायु परिवर्तन केंद्र हिमाचल प्रदेश पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के प्रधान विज्ञानी एसएस, रंधावा का कहना है बर्फ के क्षेत्र में गिरावट आ रही है. गर्मी के महीनों के विश्लेषण के दौरान चिनाब व ब्यास घाटी में बर्फ का क्षेत्र करीब 14 फीसद पिघला और जून से अगस्त तक 52 फीसद पिघला, जबकि रावी में करीब नौ फीसद पिघला है.
हिमाचल प्रदेश पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सदस्य सचिव निशांत ठाकुर ने कहा हिमाचल का करीब एक तिहाई क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है. इसमें क्या परिवर्तन आया है, इसके लिए सेटेलाइट से उपलब्ध डाटा से विश्लेषण किया जा रहा है. इसके नुकसान को दूर करने के लिए कार्य किया जा रहा है.
हिमाचल प्रदेश में बर्फीली पहाड़ो, या फिर बर्फीली जगहों का क्षेत्र कम होता जा रहा है ये संकट का संकेत हो सकता है. क्योंकि इन्हीं बर्फीले पहाड़ों या क्षेत्रो से नदियों को पानी मिलता है और उस पानी करोड़ों लोगों की जिन्दगी चलती है. अगर ये बर्फीली पहाड़ पूरी तरह खत्म हो गये तो नदियों को पानी कहाँ से मिलेगा…नदियाँ सूख जायेगी…नदियों पर बनायी गयी विद्युत् परियोजनाएं ठप्प हो जाएँगी..खेती को नुकसान होगा…मतलब इंसानों पर इसका प्रभाव बुरा पड़ेगा.. हिमाचल प्रदेश के बर्फीली पहाड़ों से धीरे-धीरे बर्फ की चादर सरक रही है, इसका सबसे बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन को माना जा रहा है.