कोरोना, मंकीपॉक्स के बाद नई आफत! जानें- क्या है “West Nile Fever”, जिससे केरल के एक मरीज की मौत?
गर्मियों के मौसम में मच्छरों से होने वाली बीमारियां खूब होती हैं. लेकिन इनमें से कुछ ऐसी होती हैं जो जानलेवा साबित हो सकती हैं. केरल में टोमैटो फ्लू (Tomato Flu) के बाद अब वेस्ट नाइल वायरस (West Nile Virus) भी फैलने लगा है। केरल के त्रिशूर में वेस्ट नाइल फीवर से एक 47 साल के व्यक्ति की मौत हो गई. ये भी मच्छरों से होने वाली ही एक बीमारी है. वेस्ट नाइल फीवर से एक व्यक्ति की मौत होने के बाद प्रशासन सर्तक हो गया है और स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को इनसे बचे रहने की सलाह दी है।
जारी किया अलर्ट
मरने वाला पीड़ित पुथनपुरक्कल जोबी (47) त्रिशूर जिले के पनंचेरी का रहने वाला है। मरीज के मौत के बाद राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। अधिकारियों ने मरीज के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जोबी को 17 मई को बुखार और अन्य लक्षण दिखाई दिए और उनका कई अस्पतालों में इलाज किया गया। दो दिन पहले मरीज को त्रिशूर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने वेस्ट नाइल बुखार की पुष्टि की थी।
क्या है ये वेस्ट नाइल वायरस?
-वेस्ट नाइल फीवर एक वायरल बुखार है जो वेस्ट नाइल वायरस से फैलता है. मच्छरों की क्यूलेक्स प्रजाति ही इस वायरस को व्यक्ति के खून में फैलाती है. फिर जब ये वायरस खून में मिलता है तो इससे व्यक्ति इन्फेक्शन का शिकार हो जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, ये वायरस अधिकतर अफ्रीका, यूरोप, मिडल ईस्ट, नार्थ अमेरिका और वेस्ट एशिया में पाया जाता है। यह मनुष्यों के लिए घातक बीमारी को जन्म दे सकता है। यह डेंगू, जीका और पीले बुखार के वायरस से संबंधित है।
कैसे फैलता है वायरस
वेस्ट नाइल वायरस इंसानों में घातक न्यूरोलॉजिकल बीमारी का कारण बन सकता है। हालांकि, लगभग 80 प्रतिशत संक्रमित लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। यह मुख्य रूप से संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। यह वायरस बच्चे, बूढ़े और वे लोग जिनकी इम्यूनिटी कमज़ोर है, उनमें तेजी से फैलता है। वेस्ट नाइल वायरस अगर दिमाग़ में पहुंच गया तो ये ख़तरनाक होने के साथ जानलेवा भी साबित हो सकता है।
सबसे पहले कहां आया था नजर?
पहली बार ये वायरस साल 1937 में युगांडा के वेस्ट नाइल (West Nile) जिले में देखने को मिला था. जहां इसकी वजह से एक महिला बीमार हुई थी. उसके बाद साल 1953 में ये वायरस नील डेल्टा क्षेत्र के पक्षियों जैसे कौवे और कबूतर में देखने को मिला था। साल 1999 में वेस्ट नाइले वायरस इज़राइल, ट्यूनीशिया, न्यूयॉर्क, अमेरिका में कनाडा से वेनेजुएला क्षेत्र तक फैल गया था. अब इसका एक केस भारत में भी मिला है।
लक्षण क्या हैं?
वेस्ट नाइल वायरस से संक्रमित लोगों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं होते हैं या हल्के लक्षण होते हैं। इसके समान्य लक्षण में सिरदर्द, बुखार, त्वचा पर लाल चकत्ते, शरीर में दर्द और सूजी हुई लसीका ग्रंथियां शामिल हैं। वायरस के लक्षण कुछ दिनों से लेकर कई हफ्तों तक रह सकते हैं और स्वयं ही समाप्त भी हो सकते हैं।
इंसानों में कैसे फैलता है ये वायरस ?
आमतौर पर इस वायरस के इंसान में फैलने की वजह मच्छरों को माना जाता है. ये वायरस पक्षियों में फैलता है. ये वायरस पक्षियों से होते हुए मच्छरों तक और मच्छरों से इंसानों में आता है। कई बार ऑर्गन ट्रांसप्लांट, ब्लट ट्रांसफ्यूजन और ब्रेस्ट मिल्क से भी ये वायरस फैल सकता है. अब तक मां से बच्चे में इस वायरस के फैलने का एक मामला सामने आया है। मच्छर जब किसी संक्रमित पक्षी को काटते हैं तो ये वायरस उनमें आ जाता है और जब यही संक्रमित मच्छर इंसानों को काटते हैं तो इससे इंसान संक्रमित हो जाते हैं।
क्या है इलाज?
इस वायरस के लिए अभी कोई वैक्सीन नहीं है। यह कुछ दिनों में समान्य बुखार की दवाईयों से अपने आप ही समाप्त हो सकता है। हालाकि बढ़ने का भी खतरा है, इस कारण बचाव के लिए मच्छरों के काटने से बचाव करें।