कब होगी गंगा नदी साफ? अब NGT उठाएगी सख्त कदम, राज्यों को दिया ये निर्देश
गंगा नदी जो प्राचीन में पवित्रता की मिशाल हुआ करती थी, आज इसकी हालत दयनीय है. बीते करीब 40 सालों से सर्वोच्च न्यायालय और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की निगरानी और हस्तक्षेप के बाद भी सबसे पवित्र माने जाने वाली गंगा अबतक स्वच्छ नहीं हो सकी है.ऐसे में अब NGT इसको लेकर और गंभीर और सख्त हो गई है. इसे गंभीरता से लेते हुए NGT ने नदी के कायाकल्प के लिए राज्यों में बनी समिति को गंगा को कम से कम लोगों के नहाने लायक बनाने के लिए कार्ययोजना तैयार करने और उसे सख्ती से लागू करने को कहा है. इसके साथ ही NGT ने उत्तरी राज्यों के मुख्य सचिवों को गंगा को पुनर्जीवन देने के काम की समय-समय पर निगरानी करने का निर्देश दिया.
एनजीटी ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन , सीपीसीबी के अलावा यूपी, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को ये सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि गंगा नदी में शोधन के बगैर सीधे सीवर या उद्योगों से निकलने वाला दूषित पानी नहीं बहाया जाए.बल्कि सीवेज के शोधित पानी को नदी में बहाने के बजाए अन्य काम में इस्तेमाल करें.
एनजीटी प्रमुख न्यायमूर्ति ए.के. गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने इसके लिए नदी के पानी में बॉयो ऑक्सीजन डिमांड, मल-मूत्र से फैलने वाली कैलिफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा और अन्य प्रदूषक तत्वों को कम करने और अन्य जरूरी कदम उठाने का आदेश दिया है. इसके साथ ही, पीठ ने गंगा नदी के किनारे पेड़ लगाने और बॉयो डायवर्सिटी पार्क बनाने के लिए कैम्पा फंड और अन्य स्रोतों से मिले धन के अलावा मनरेगा फंड का इस्तेमाल पर भी विचार करने का निर्देश दिया है. एनजीटी ने हर हाल में नदी के आस-पास को साफ करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही नदी किनारे कृत्रिम वेटलैंड भी विकसित करने का आदेश दिया है. साथ ही नदी में सीवर या औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले कचरा या दूषित पानी को जाने से रोकने का भी निर्देश दिया है.अधिकरण ने ये भी कहा कि अगर समय सीमा का पालन नहीं किया जाता है तो उल्लंघन करने वालों से पर्यावरण मुआवजा वसूला जाए.
गौरतलब है कि धार्मिक आस्था के प्रतीक कहे जाने वाले सबसे पवित्र गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए कामकाज की निगरानी करीब 40 साल से अदालतों द्वारा की जा रही है. पहली बार 1985 में गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने की मांग सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की गई थी. जिसके बाद कई सालों तक इसकी निगरानी के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले को एनजीटी में भेज दिया. एनजीटी पिछले छह साल से गंगा सफाई के लिए केंद्र और पांच उत्तरी राज्यों को लगातार दिशा-निर्देश देती आ रही है. लेकिन अब तक गंगा का जो हाल है वो हम सब के सामने है. ऐसे में देश के नागरिक होने के नाते हमारा भी फर्ज बनता है कि हम भी गंगा की सफाई में अपना योगदान दें.