आखिर बंगाल की खाड़ी से क्यों उठते हैं बार-बार चक्रवात?

अभी अरब सागर में उठे तूफ़ान तौकते का असर खत्म भी नही हुआ था कि एक और तूफ़ान का खतरा पैदा हो गया है. बंगाल की खाड़ी में एक कम दबाव का क्षेत्र बन रहा है. इस तूफान से ओडिशा और पश्चिम बंगाल को सबसे अधिक प्रभावित होने की संभावना है. बंगाल की खाड़ी में बन रहे तूफान को यास नाम दिया गया है. अरब सागर और बंगाल की खाड़ी भारत के दो अलग-अलह छोरों पर हैं. एक पश्चिम में तो दूसरा पूरब में. हालांकि दोनों में काफी अंतर है और तूफान भी ज्यादा पूरब में स्थित बंगाल की खाड़ी से ही आते हैं. अरब सागर के मुकाबले इनकी भयावहता भी ज्यादा होती है. तो आइए जानते हैं, आखिर क्या कारण है कि बंगाल की खाड़ी में ज्यादा तूफान बनते हैं?

मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि अरब सागर के मुकाबले बंगाल की खाड़ी ज्यादा गर्म है और इसी गर्माहट की वजह से कम दबाव के क्षेत्र को तूफान में बदलने के लिए मदद मिल जाती है. वहीं हवा के बहाव के लिए भी बंगाल की खाड़ी उपयुक्त है. इस कारण तूफान विकराल रूप धरते हैं और ज्यादा तबाही मचाते हैं. हालांकि हाल के समय में अरब सागर में भी मौसमी गतिविधियां तेजी से बदल रही हैं जो एक चिंता का विषय बन गयी हैं

वैज्ञानिक बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण अरब सागर के तापमान में बढ़ोतरी हो रही है. इस वजह से पहले के मुकाबले अब वहां ज्यादा तूफान बन रहे हैं. तौकते तूफान को लेकर अरब सागर में अब तक एक के बाद एक चार तूफान आए हैं और चारों मॉनसून से पहले बने हैं.

मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि औसतन बंगाल की खाड़ी में प्रति वर्ष 4 और अरब सागर में 1 चक्रवाती तूफान आते हैं. 2018 की बात करें तो बंगाल की खाड़ी में 4 ही तूफान आए लेकिन अरब सागर में संख्या एक से बढ़ कर तीन हो गई. अरब सागर में आने वाले तूफान में 2014 से 2019 के बीच कुल 32 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है.

भारत के दोनों छोर से बढ़ रहे तूफानों की संख्या के पीछे हिंद महासागर के तापमान में वृद्धि को मुख्य वजह माना जा रहा है. 2014 के एक शोध में पाया गया कि हिंद महासागर का औसत तापमान 0.7 डिग्री सेल्सिसस तक बढ़ गया है.